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________________ ३७४ आसपास के ग्रामों के अवशिष्ट लेख श्रवणवेल्गुल के आसपास के ग्रामों के शिलालेख । जिननाथपुर के लेख ४६८ (३७८ ) शान्तीश्वर बस्ती के द्वार पर ... स्वस्ति श्रीजगनज... बलिय पुनकालर मगं जूनिकवन तम्म चोल पेमेडियर मरुलारद गण्ड... सा वितर देव...स... मुग ......रि......ल..लरनडि र कादि कोन्दुजाल...न्द्र गङ्गर बीडिन उर' कचेयरे भु... सेमर सुरिगेल कलगमेनितु रि... यिसि जसक्के कबन्दछ नि... तन्न मोम्मक्कलु... सुसिडिल त... मलू तुलिद... गेकान्तगोलू मरि सत्तलेङ्कर अन्द पेकिनेम्ब सि...... गङ्ग े परि ....... सा......र क .... . लल्लदे प... जिनतीर्थद बा... . सन्दनाग.. • गुल तब्ब गङ्गर चोल - स... पडवरिगे ॥ .ल्तल- अग्रगण्यनु...ङ्ग निलेगजन... लदत .गु.. . दागि...... यदि जिन ...लु यवनल्प चन्दम पूजेयनेयदे माडिदं ॥... लगचित्र. .तनग.. ....... बिद...... ल स......न...दि महसन्यसनं गय्यनिप्प... तन्न... दिन बरनेरय .. .त सनु... ...... श्रमरिद बेम काम सले..... रद सन्यासनदि ... दिरन......म... प नेदृन्दवदि... सङ्ग नि... जर्विल्ले... ..... बलेह... गाविगलात्म येन्तल चित्त... कुडेदेयनिरि...... मोद... ......तिदे...... Jain Education International ...... ...... ..... For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003151
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Jain
PublisherManikchand Digambar Jain Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages662
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size21 MB
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