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________________ नगर में के प्रवशिष्ट लेख ४५६ (४८४ ) गरगट्टे विजयराज्यय्य के घर जिनमूर्त्ति के पाद पीठ पर श्रीमद् देवन्दि भट्टारकर गुडि मालब्बे कडस तवादिय तद बसदि कोट्टल ४६० (४८५ ) गरगट्टे चन्द्रव्य के घर जिनमूर्त्ति के पादपीठ पर श्रीमत्कण्नबे कन्तियरु कलसतवादिय तीर्थद बसदिगे कोहर ४६१ ( ४८६ ) मल्लिषेण । ४६२ (४८७ ) वीरण्न । ४६३ (४८८) चिकणन सम्म चेन्नयन कोल । ३७३ ४६४ (४८६ ) पुटसामि चेन्नयन मण्टप कोल तोट । ४६५ ( ४-६० ) चिकणन त...... चेन्नणन कोल ! ४६६ (४८३ ) हालोरति । ४६७ ( ४६४ ) श्री जिननाथ पुरद सीमे । ४६८ (५०० ) मठ के दायीं ओर तेरिन मण्डप में रथ पर शालिवाहन शक १८०२ ने विक्रमनामसंवत्सरद माघ शुद्ध ५ ल्लु वीराजेन्द्रप्याटेयल्लू इरुव रायन्नशेट्र अत्तिगे जिनमन शेवर्त्त । [ वीर राजेन्द्रप्याटे के रायनसेहि की भावज ने प्रदान किया ] Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003151
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Jain
PublisherManikchand Digambar Jain Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages662
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size21 MB
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