________________
३४६
विन्ध्यगिरि पर्वत के अवशिष्ट लेख
३६७ ( २६४ ) वेय नाम संवत्सरद कार्त्तिक सुद्ध अष्टमी
( खण्डवा गिलु के यि गुरुवार || बरामदे में )
३६८ (२६५ ) स्वस्ति श्री सूल सङ्घ देशियगण (द्वारे के पास भुज - पुस्तकगच्छ श्रीगण्डविमुक्त सैद्धान्तदेवर बलिस्वामी के पाद - पीठ पर ) गुड्ड भरतेश्वर दण्डनायक माडिसिद || ३६८ (२६६ )
[ लेख नं० ३६८ के ही समान ]
(द्वारे के पास भरते
श्वर के पादपीठ पर)
३७० ( २७० ) श्रीमतु प्रास्वैज सुद्ध ६ ल्ल बेगूर गामेय नरसप्पसट्टियर मग बैयखनु स्वामि-दरु
सनव माडि ई-कट्टे कट्टिय प्रवटिगे निलिसिदरु ||
[उक्त तिथि को बेगूर के गामेय नरसप्पसेट्टि के पुत्र बैयण ने स्वामी के दर्शन किये, यह कुण्ड बनवाया और उस पर छप्पर डलवाया । ] ३७१ ( २७१ ) सेामसेन देवर गुड्डु गापय बैचक्क ३७२ ( २७२ )... भुवनकीर्त्तिदेवर शिष्य कीर्तिदेवर निशिधि |
३७३ ( २७५ ) वनवासिवस्वा ३७४ (२७६ ) सि हनन्दि आचार्यरु || ३७५ (२७८) पूताबाई.. (नागरी लिपि में) सफल ॥
Jain Education International
...रद... रा......
. जगदाई पणास जात्रा
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org