________________
विन्ध्यगिरि पर्वत के अवशिष्ट लेख ३७६ (२७६) पूननाई पुत्र पण्डि...पु.., (नागरी लिपि में) ३७७ ( २८०) श्रीमतु प्रास्वै बहुल १ यलु भारगवेय
नागप्प-सठर मग जिन्नणनु बेलुगुलद चारुकीति भटार श्री पादव के थिसि
दर श्रो॥ [ नं०३७८ से ४०४ तक के लेख नागरी लिपि में हैं । ] ३७८ ( २८३ ) चीतामनस उवरा माणकर ई-कर ३७६ ( २८४) सके १६४२ वैसाष वदी १३ बु गडासा
धर्मासा कोट्टसासोमानीकसाच नमस्कार
( कनाडी लिपि में ) माणिकसा ३८० ( २८५ )......सा......प्र......के १६४२...
क वदी १३ मरिवहीरा जात्रा सफल ।। ३८१ ( २८६ ) श्री काष्टसङ्घ । ३८२ ( २८७ ) शक १५६७ पार्थिव-नाम संवत्सरे वैशाष
मासे शुक्ल पक्षे चतुर्दशी दिवसे श्री काष्टसङ्घवघेरवाल जातीय गानासा गोत्रे सवदी बावुसार्या जायनाई तयो पुत्रौ द्वौ प्रथमपुत्र सन्नोजसार्या यमाई तया पुत्रा यरु...मध्य सीमा सङ्घवीन्या सङ्घवीन्यार्जुनसीत ग्रामे सम्प्रणमति द्वितीय पुत्र सङ्घवी पदीयार्या तानाई तयो पुत्री
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
___www.jainelibrary.org