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विन्ध्यगिरि पर्वत के अवशिष्ट लेख
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श्रीमतु चारुकीर्त्ति पण्डित देवरु -गलु अवर शिष्यरु अभिनव पण्डित - देवरुगलु बेलुगुलद नाड गवुडुगल माणिक्य नखरद हरु पण्डित स्थानिकरु वैद्यरु......
वरु
इसमें बेलुगुल के चारुकीर्त्ति पण्डितदेव
[ यह लेख अधूरा है। और अभिनव पण्डित देवका उल्लेख है ]
३६३ ( २६० ) सके १६५५ प्राश्वीज वदि ७... खेरापुत्र...... मखीसा.... .. श्री वानापोसा...
नागरी लिपि में ) मासा
. गया सफल श्री ।
सक.......
३६४ (२६१ ) सके १६५३ आश्वीज वद ७ खेरामासा ( नागरी लिपि में ) पुत्र हीरासाछा पोतुखखा जात्रा सफल । ३६५ ( २६२ ) सके १६६३ प्रवोज वद ७ खेरामासा ( नागरी लिपि में ) पुत्र धरमासाळा पौत्र जागा.........
जात्रा सफल ||
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३६६ ( २६३ ) सके १६४३ पौस वदि १२ शुक्रवारे ( नागरी लिपि) भण्डेवेड कीर्त्ति सहित उघरवल जाती होरासा सुत हाससा सुत चागेवा
बाई राजाई गोमाई राधाई मन्नाई सहित जात्रा सफल करी कारज कर ।
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