SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 525
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ३३६ विन्ध्यगिरि पर्वत के प्रवशिष्ट लेख ३४१ ( २११ ) सवत १८०० पस वद ६ मगलवर वनवरलल दनदयल क बट । ३४२ ( २१२) सवत १८१२ बसह सद ११ वर मगल बलरम रमकसन क बट अ [गरव ] ल सर [वग क ] स रय ग [ कल ] गढय वसह......इ................ [संवत् १८१२ वैसाख सुदि ११ वार मङ्गल बलीराम रामकिसन का बेटा अगरवाला केसोराय गोकलगढिया वैसाख......] ३४३ ( २१३) सवत १८४३ मत मह वद ३ लष [म] ण-रयक बट तइर मल नरठनवल नतमल गनरम धन......पै... दज परप......नरक सहनवल [संवत् १८४३ मिती माह वदि ३ लक्ष्मणराय का बेटा तोडरमल नरठनवाला ( ?)[ नत ]थ[ मल गनीराम धन............] ३४४ ( २१४) सवत १८१२ मत वसह वद ८ वर सन सठ रजरम रमकरसन मगत रयक बट गयल गत...र,.....सरपल सभनथ बट नय......क बट। . . . . . . . . ३४५ (२१५)............सद मगल वर नय...... नरयनज वहड............रथथ,.....इ जहतय रमदनमल कसद.........बमदय Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003151
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Jain
PublisherManikchand Digambar Jain Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages662
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size21 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy