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________________ ३३१ विन्ध्यगिरि पर्वत के अवशिष्ट लेख विन्ध्यगिरि पर्वत के अवशिष्ट लेख ३१६ (१८१) गोम्मटेश्वर के बायें चरण के समीप श्रो-बिटि-देवन पुत्र प्रताप-नारसिंह-देवन कय्यलु महा-प्रधान हिरिय-भण्डारि हुल्लमय्य गोमट-देवर पा...... ......वरवरू.........दानक्कं सवणेर बिडिसि कोट्टर । [ महामन्त्री हुल्लमय्य ने बिटिदेव के पुत्र नारसिंहदेव से (गाँव) प्राप्त कर गोम्मटदेव और दान के हेतु अर्पण किये।] ३१७ ( १८७) श्रीमूलसङ्घ देशियगण पुस्तकगच्छ काण्डकुन्दान्वय नयकीर्त्ति सिद्धान्त चक्रवत्ति गल गुड्डु बसविसेट्टि माडिसिदं । ३१८ (१८८) श्रीमूलसङ्घ देशियगण पुस्तकगच्छ कोण्डकुन्दान्वय नयकीर्ति सिद्धान्त चक्रवर्त्तिगल गुड्ड बसविसेट्टि माडिसिदं ।। ३१६ (१८६) श्रीमूलसङ्घ देशियगण पुस्तकगच्छ काण्डकुन्दान्वयद श्रीनयकीर्ति सिद्धान्तचक्रवर्तिगल गुड्डु बल्लेय[द] ण्डना [य] के माडिसिदं ॥ ३२० ( १६० ) श्रीमूलसङ्घ देशियगण पुस्तकगच्छ काण्डकुन्दान्वयद श्री-नयकीर्ति Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003151
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Jain
PublisherManikchand Digambar Jain Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages662
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size21 MB
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