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३३० चन्द्रगिरि पर्वत के अवशिष्ट लेख
विधु-विधुधर-हास-पयोम्बुधि-फेन-वियच्चराचलोपम-यशनभ्यधिकतर-भक्तियिन्द
मधुवं बन्दिल्लि देवर बन्दिसिद ।। [मलधारिदेव के पिता नयनन्दि के शिष्य मधुवय्य ने देववन्दना की।] ३०५ (४६६ ) कपनब्बरसिय तम्म चावय्यनुं दम्मडय्यनु
नागवमर्नु बन्दिल्लि देवर बन्दिसिदर ॥ ३०६ (४६७ ) श्री सन्द बेल्गोलदले निन्दु...डने विट्ठ
अन्दमारय्य मनदल अग्गल देवरेम्बर काण्ब बगेयिन्द । श्री पेगेंडे रेतय्यन वेदे
सङ्कय्य । ३०७ (४६८) श्रीमत् एरेयप गामुण्डनु मद्दय्यनु बन्दिल्लि
व्रतकोण्डर ३०८ (४६६) श्री पुलिक्कलय्य ३०६ (४७०) श्री काञ्चय्य ३१० (४७१) श्रीमन् एनगं क्रियद देव बसद ३११ (४७२) श्री मारसिङ्गय्य ३१२ (४७३) कत्तय्य ३१३ (४७४ ) पुलिचोरय्य महध्वजदोज...मणि-वितान
दोज तेज ३१४ (४७५) श्री कापण तीर्थद ३१५ (४९२) सासिर गद्याण
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