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________________ चन्द्रगिरि पर्वत के प्रवशिष्ट लेख जिन पतिगे पूजेयं स न्मुनि-पतिगलुगन्न-दानमं भक्तियोलिम्बिने पाय्सल-सेट्टियुमालूपिन कणियेने नेमि सेट्टि माडिसिदर् ॥ [ पोयसल नरेश के प्रसिद्ध सेठी पोयसल सेट्टि और नेमिट्टि की माताओं-माचिक और शान्तिकब्जे ने जिनमन्दिर और नन्दीश्वर निर्माण कराकर भानुकीर्त्ति मुनि से दीक्षा ली । उक्त सेठियों ने भक्तिपूर्वक जिन-पूजन किया और दान दिये । } गन्धवारण बस्ति के समीप एक टूटे पाषाण पर २३० ( १४४ ) नमस्सिद्धेभ्यः । शासनं जिनशासन .भ-चन्द्र गन्धवारण बस्ति की सीढ़ियों के पास २३१ (४२८ ) श्रीमतु रविचन्द्र देवर पाद इरुवे ब्रह्मदेवमन्दिर के मार्ग पर २३२ (१४६ ) नेमगन पाद । २३३ ( १४७ ) श्री सिवग्गय्य । २३४ ( १४८ ) श्री कलय्यन् । ३२३ २३५ (१५० ) इरुवेब्रह्मदेवमन्दिर के द्वार की दक्षिण बाजू पर । ने सेवल्कुन्द गुबु... ट्टिसि पट्टम गुलिय... सिगेयिले सले गङ्ग Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003151
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Jain
PublisherManikchand Digambar Jain Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages662
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size21 MB
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