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चन्द्रगिरि पर्वत के अवशिष्ट लेख ३२१ तेरिन बस्ति के नवरङ्ग में एक टूटे पाषाण पर
२२७ ( १३६ ) त...... "ति कल्बप्पिनल्लि । मलद कुमारणन्दिभटारर सिषित्तियर सायिब्बे-कन्तियर...... वप्पिदिगल । ( एक बाजू में ) विल..... 'स' 'सर्व......
तेरिन बस्ति के सम्मुख २२८ (४२६) 'स्वरेद बद्र 'नरगेद कोल
२२८ (१३७ ) तेरिन बस्ति के सम्मुख 'तेरु' के उत्तर मुख के
ऊपरी भाग पर
(शक सं० १०३६) भद्रं भूयाजिनेन्द्राणां शासनायाघ-नाशिने । कु-तीर्थ-ध्वान्त-सङ्घात-प्रभिन्न-धन-भानवे ॥१॥ सक वर्ष सायिरविं प्रकटमेनल्मूवतोम्भतु नडेयुतिरलु सुकरमेने हेमलम्बियोल
अकलङ्कद जेष्ट-सुद्ध-गुरु-तेरसियालु ॥ २ ॥ वृत्त ॥
धरणी-पालकनप्प पोयसलन राज-प्रेष्टिगल्तम्मुतिबरेनल पोय्सल-सेट्टियुं गुण-गणाम्भोरासियेम्बोन्दु सु
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