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चन्द्रगिरि पर्वत के प्रवशिष्ट लेख श्रीपुरान्वय गन्धवर्मनमित-श्रीसङ्घदा पुण्यदीसन्पौरा...निदे...रिवलघ...री-शिला-तल...... .........मान्नेरदुप................ [इस लेख में श्रीसंघ, पूरान्वय के पूज्य गन्धवर्मा द्वारा इस शिला पर कुछ किये जाने का उल्लेख रहा है।
कत्तले बस्ति के पीछे चट्टान पर २२१ (४१२) चन्दय्य । चामुण्डराब बस्ति के द्वारे के दक्षिण की शिला पर
२२२ (११६) श्रीमत् लक्खण देवर पाद । चामुण्डराय बस्ति के द्वारे के दोनों बाजू २२३ (१२२) श्रीं चामुण्डराज माडिसिदं चामुण्डराय बस्ति के द्वारे से बायीं
और शिला पर २२४ (१२३) (नागरी अक्षरों में) सान्तणन्दि देवर पाद २२५ (१२४) " श्रीमतुचन्द्रकीर्ति देवर
पाद । तेरिन बस्ति के बायीं ओर एक स्तम्भ पर २२६ (१३५) स्वस्ति श्रीमत्परमगम्भीरस्याद्वादामोघलाञ्छनं । जीयात त्रैलोक्यनाथस्य शासनं जिनशासनं ।।
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