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________________ श्रवणबेलगोल के स्मारक उपर्युक्त श्लोक में कल्कि संवत् ६०० में गोमटेश की प्रतिष्ठा होना कहा है । कल्कि कौन था और उसका संवत् कब से चला ? हरिव ंशपुराण, उत्तरपुराण, त्रिलोकसार और त्रिलोकप्रज्ञप्ति में कल्कि राजा का उल्लेख पाया जाता है । कल्कि का दूसरा नाम चतुर्मुख था । त्रिलोकप्रज्ञप्ति में कल्कि का समय इस प्रकार दिया है : व्विाणगदे वीरे चउसदइगिसट्टिवास विच्छेदे । ३० जादो च सगपरिन्दो रज्ज वस्सस्स दुसय वादाला ||१३|| दोण्यि सदा पणवण्या गुत्तायं चउमुहस्स वादालं । वस्सं होदि सहस्सं कई एवं परूवंति ॥ ६४॥ अर्थात् -- वीर निर्वाण के ४६१ वर्ष बीतने पर शक राजा हुआ, और इस वंश के राजाओं ने २४२ वर्ष राज्य किया । उनके पश्चात् गुप्तव ंशी नरेशों का २५५ वर्ष तक राज्य रहा और फिर चतुर्मुख (कल्कि) ने ४२ वर्ष राज्य किया । कोईकोई लोग इस तरह (४६१ + २४२+२५५ + ४२ = १०००) एक हजार वर्ष बतलाते हैं । अन्य ग्रंथों में भी कल्कि का समय महावीर के निर्वाण से १००० वर्ष पश्चात् माना गया है । पर इन ग्रंथों में इस बात पर मतभेद है कि निर्वाण संवत् से १००० वर्ष पीछे कल्कि का जन्म हुआ या मृत्यु । ऊपर हमने जिस मत का उल्लेख किया है उसके अनुसार १००० वर्ष में कल्कि के राज्य के ४२ वर्ष भी सम्मिलित हैं । अतः इस मत के अनुसार निर्वाण सं० १००० कल्कि की मृत्यु Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003151
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Jain
PublisherManikchand Digambar Jain Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages662
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size21 MB
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