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३१८ चन्द्रगिरि पर्वत के अवशिष्ट लेख
२०६ (१००) परवतिमल । २१० (१०१)...मले-मेल प्रच......महा. .....बोल... २११ (१०२)......जन्नल नविलूर अनेकगुणदा श्रा
सङ्घ......दु... .............मेनल्तिलकं......ओ...राचार्य्यर । .......भिमानमेय्दे तोरदेन्दो राग-सौख्यागति ......ददोन्दु पञ्चपददे दोष निरासं.....
| नविलूर संघ के किसी प्राचार्य ने संन्यास धारण कर प्राणोत्सर्ग किया । २१२ (१०३) स्वस्ति श्रीमत् नविलूर सङ्घद पुष्पसेना
चारि...य निसिधिगे। २१३ ( १०४ ) श्री देवाचार्य......निसिधिो । २१४ (१८७ ) श्री वन्दनुरागदिनेरदु ग्रन्थेगल क्रमदरिशैल... वन्दनु मार्गदिने तिमिरा विधिये नविलूर सं...... चेन्ददे बुद्धिय हारमनि...तियु...य मावि-अब्बेगल .......लिप्पि नल सुरर सौख्यमनिम्मोडगोण्डराट्टमुम् । [ नविलूर संघ के मावि अब्चे ने समाधि मरण किया।] २१५ (१०६) श्री मेघनन्दि मुनि तान नमिलूवर सङ्घदा
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