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श्रवण बेलगोल नगर में के शिलालेख २५६ वे देवेन्द्र सिद्धान्त देव की शाखा में हुए थे। उनके दो शिष्य मलधारि देव और शुभनन्द्र देव सिद्धान्त मुनीन्द्र थे। श्रीमती गन्ती ने उनसे दीक्षा लेकर उक्त तिथि को समाधिमरण किया। यह स्मारक माङ्कब्जे गन्ती ने स्थापित कराया।]
१४० ( ३५२) मठ के अधिकार में एक ताम्र-पत्र पर का लेख
(शक सं० १५५६) श्री स्वस्ति श्रो-शालिवाहन-सक-वरुष १५५६ नेय भावसंवत्सरद आषाढ़-शुद्ध १३ स्तिरवार ब्रह्मयोगदल्लु श्रीमन्महाराजाधिराजराजपरमेश्वर अरि-राय-मस्तक-शुल शरणागतवज्रपञ्जर पर-नारी-सहोदर सत्य-त्याग-पराक्रम-मुद्रा. मुद्रित भुवन-बल्लभ सुवर्ण-कलस-स्थापनाचार्य षङधर्म-चक्रेश्वरराद मैयिसूर-पट्टण-पुरवराधीश्वरराद चामराजु बोडेरैयनवरु देवर बेलुगुलद गुम्मट-नाथ-स्वामियवर अर्चन-वृत्तिय स्वास्तियनु स्तानदवरु तम्म तम्भ अनुपत्यदिन्दावर्तक-गुरस्तरिगे अडहुबोग्यवियागि कोटु अडहुगाररु बाहुकाला अनुभविसि बरुत्ता यिरलागि चामराजवोडेयरय्यनवरु विचारिसि अडहु बोग्याविय अनुभविसि बरुत्ता यिदन्त वर्तकगुरुस्तरनु करे यिसि। स्तानदवरिगे नीवु कोटन्थ सालवनु तीरिसि कोडिसिवु येन्दु हेललागि वत्तक-गुरस्तरु प्राडिद मातु तावु स्तानदवरिगे कोटन्थ सालवु तम्म तन्देतायिगलिगे पुण्यवागलियेन्दु धारदत्त
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