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________________ श्रवणबेलगोल नगर में के शिलालेख जिन - सत्पुण्य- पुराण-संश्रवणदिं सन्तोषमं ताल्दि भव्यनुत ं निच्चलुमिन्ते पाल्तुगलेवं श्री हुल्ल दण्डाधिपं ॥ २४ ॥ अर्नमादुद कन्द || निप्पट नुप्पट्टाय्तन महा-जिनेन्द्रालयम । निप्पोसतु माडिद कर मोरे हुल्ल मनस्वि बङ्कापुरदालू ।। २५ ।। मन्तमल्लिये || वृत ॥ कलितनमुळे विटत्वमुमनुल्लवना दियोलोर्व्वनुर्व्वियाल कलिविटम्बनातन जिनालयम' नरे जीनमादुदं । कलि सलं दानदोलू परम सौख्य- रमारतियाल विटं विनिश्चलवे निसिद्द' हुल्लनदनेत्तिसिदं रजताद्रि-तुङ्गम ं ॥ २६ ॥ प्रियदिन्दं हुल्ल-सेनापति कोपण-महा-तीर्थदे।लू घात्रियुं वार्द्धियुमुल्लन्न चतुर्व्विशंति- जिन-मुनि सङ्घक्के निश्चिन्तमागक्षय-दानं सल्ब पाङ्गि बहु- कनक-मना- क्षेत्र - जर्गित्तु सट्टत्तिय निन्तीलोक मेल्लम्पोगले बिडिसिद पुण्य-पुञ्जैकधामं ॥ ।। २७ ।। प्राकल्लङ्ग रेयादि तीर्थ मदुमुन गङ्गरिं निर्मित लोक प्रस्तुतमाय्तु काल- बशदि नामावशेष बलिका कल्प - स्थिरमागे माडिसिदनी - भास्वज्जिनागारम श्री कान्त ं सलदिन्दमंयदे कलसं श्री हुल्ल-दण्डाधिपं ॥ २८ ॥ कन्द || पञ्च महा-वसतिगल पञ्च- सुकल्याण- वान्छेयि हुल्ल-चमू १८ २७१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003151
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Jain
PublisherManikchand Digambar Jain Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages662
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size21 MB
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