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________________ २७२ श्रवण बेलगोल नगर में के शिलालेख पं चतुरं माडिसिदं काञ्चन-नग-धैर्य्यनेसेव केल्लङ्गेरेयोल ॥ २६ ॥ कन्द ॥ हुल्ल-चमूपन गुण-गण मुल्लनितुमनारा नेरेये पोगलल नरेवर बल्ल दाललेदुदधिय जलमुल्ल नितुमनारो परणि वल नेरेवन्नर ॥ ३० ॥ संश्रित-सद्गुणं सकल-भव्य-नुतौं जिन-भासितार्थ-निसंशय बुद्धि-हुल्ल-पृतनापति कैरव-कुन्द-हंस-शुभ्रांशु-यश जगन्नुतदोली-बर-बेल्गुल तीर्थदोल चतु विशति तीर्थकृन्निलयम नेरे माहिसिदं दलिन्तिदं ॥३१॥ कन्द ।। गोम्मटपुर-भूषणमिदु गोम्मटमारतेने समस्त-परिकर-सहित । सम्मददि हुल्ल-चमू पं माडिसिद जिनोत्तमालयमनिद ।। ३२ ।। वृत्त ॥ परिसूत्र नृत्य-गह प्रविपुल-विलसत्पत-देशस्थ-शैल स्थिर-जैनावास-युग्मं विविध-सुविध-पत्रोल्लसद्-भाव-रुपास्कर-राजद्वार-हवें बेरसतुल-चतुर्विंश-तीर्थेशगेह परिपूर्न पुण्य-पुख-प्रतिममेसेदुदीयन्ददि हुल्लनिन्दं ॥३३॥ स्वस्ति श्री-मूल-सङ्घद देशिय-गणद पुस्तक-गच्छद काण्डकुन्दान्वय-भूषणरप्प श्री-गुणचन्द्रसिद्धान्त-देवर शिष्यरप्प श्री-नयकीर्ति-सिद्धान्त-देवरेन्तप्परेन्दोडे ।। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003151
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Jain
PublisherManikchand Digambar Jain Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages662
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size21 MB
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