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________________ श्रवणबेलगोल नगर में के शिलालेख १३६ (३४४ ) भण्डारि वस्ति में पूर्व की ओर प्रथम स्तम्भ पर (शक संo १२६० ) Jain Education International स्वस्ति समस्त - प्रशस्ति सहितं ॥ पाषण्ड- सागर महापडवामुखाग्निश्रीरङ्गराजचरणाम्बुज-मूल- दास | श्री विष्णु तोक-मणि-मण्टपमार्गदायी रामानुजेो विजयते यति-राज- राज || १ || क वर्ष १२८० तेय कीलक-संवत्सरद भाद्रपदशु १० बु० स्वस्ति श्रीमन्महामण्डलेश्वर आरिराय-विभाड भाषेगे तपुत्र रायर गण्ड श्री वीरबुक्क - रायनु पृथ्वीराज्यव माडुव कालदल्लि जैनरिगू भक्तरिगू संत्राज वादलित प्रानेयगोन्दि होस-पट्टण पेनुगुण्डे कल्लेहद पट्टण बोलगाद समस्त-नाड भव्य-जनङ्गलु आ-बुक्क-रायङ्गे भक्तरुरुमाडुव प्रन्यायडुलनू बिन्नहं माडलागि कोविल तिरुम पे मालकोविल तिरुनारायणपुर मुख्यवाद सकलाचाय्यैरू सकल-समयि गलू सकलसात्विकरू मोष्टिकरु तिरुपणि-तिविडितपनीरवरु नालवत्तरेन्दु-जनङ्गलु सावन्त - बोवक्कलु तिरिकुल जाम्बुचकुल वोलगाद हृदिनेण्ड-नाड श्रीवैष्णवरकैय्यलु महारायनु वैष्णव दर्शनक्के-ऊ जैन दर्शनक्के - ऊ भेदविल्लवेन्दु रायनु वैष्णवर कैरयल जैनर कै-विडिदु कोट्टु यी जैन दर्शनक्के पुर्व्वमरियादे २६३ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003151
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Jain
PublisherManikchand Digambar Jain Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages662
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size21 MB
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