SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 451
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्रवण बेल्गोल नगर में के शिलालेख सोऽय श्री-गोम्मटेशस्त्रिभुवन-सरसी-रूजने राजहंसी भव्य...ब-भानुबेलुगुल नगरी साधु जेजीयतीर ॥२॥ नन्दन-संवत्सरद पुश्य-शु ३ लू गेरसोप्पेय हिरियआय्यगल शिष्यरु गुम्मटण्णगलु गुम्मटनाथन सन्निधियलि बन्दु चिक्क-बेट्टदल्लि चिक-बस्तिय कल्ल-कटिसि जीन्नोद्धारि बडग-वागिल बस्ति मूरु मङ्गायि-बस्ति वोन्दु हागे अयिदु-बस्ति जीर्णोद्धार वान्दु तण्डक्के अहारदान । [गुम्मटेश की प्रशस्ति के पश्चात् लेख में उल्लेख है कि उक्त तिथि को गेरसोप्पे के हिरिय- अय्य के शिष्य गुम्मटण्ण ने यहीं नाकर चिक बस्ति के शिला कुट्टम का, उत्तर द्वार की तीन बस्तियों का तथा मंगायि बस्ति का--कुल पाँच बस्तियों का-जीर्णोद्धार कराया।] [नोट-लेख में नन्दन संवत्सर का उलेख है। शक सं. १३३४ नंदन था। १३५ ( ३४३) उपर्युक्त लेख के नीचे ( सम्भवतः शक सं० १३४१ ) विकारि-सवत्सरद श्रावण शु१गेरसोप्पेय श्रीमति अव्वेग्लु समस्तरु-गोष्टिय कोटु ग ४ ।। । उक्त तिथि को गेरसोप्पे की श्रीमती अव्वे और समस्त गोष्टी ने चार गद्याण का दान दिया। 1 [नोट-लेख में विकारी संवत्सर का उल्लेख है। शक सं. १३४१ विकारी था। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003151
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Jain
PublisherManikchand Digambar Jain Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages662
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size21 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy