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श्रवण बेलगोल नगर में के शिलालेख २५६ सासनद क्रमवेन्तेन्दडं । नखर-जिनालयद आदि-देवर देव दानद गद्दे बेद्दलु एल्लि उल्लदनु बेलदकालदलु देवर अष्टविधाचर्चने अमृत-पडि-सहित श्रीकार्यवनु नकरङ्गलु नियामिसि कोट्ट पडियनु कुन्ददे नडसुवेवु प्रा-देव-शनद गद्दे बेहदनू प्राधिक्रय हालोते गुतगं एम्म वंशवादियागि मक्कलु मकलु दप्पदे आरु माडिदडं राजद्रोहि समयद्रोहिगलेन्दु वोडम्बट्ट, बरसिहशासन इन्तप्पुदक्के अवर वाप्प श्री-गोम्मटनाथ ॥ श्री बेलुगुल तीबंद नकर-जिनालयद आदिदेवर नित्याभिषेकके श्री-हुलिगेरंय सोवण्न अक्ष-भण्डार-बागि कोट्ट गद्यायं अयिदु-होनिङ्ग हालु ब १॥ - सर्वधारि संवत्सरद द्वितीय-भाद्रपद-सु ५ ब्रि। श्री-बेलुगुल-तीर्थद जिननाथ-पुरद समस्त-माणिक्य-नगरङ्गलु तम्मोलोडम्बटु बरसिद शासनद क्रमवेन्तन्दोडे । नगर-जिनालयद श्री-आदिदेवर जीर्णोद्धारचुपकरण श्री कार्यक्केवू धारापूर्वकं माडि आचन्द्रावतार बर मलुवन्तागि पा-येरडु-पट्टराएद समस्त-नखरङ्गलू स्वदेशि-परदेशियिन्दं बन्दन्तह दवण गद्याण-नरके गद्याणं वोन्दरोपादिय दवण प्रादिदेवरिगे सलुचन्तागि कोट्ट शासन यिदरोले विरहित-गुप्तवनारु माडिदडमवन सन्तान निस्सन्तान अव देव-द्रोहि राज-द्रोहि ममय-द्रोहिगलेन्दु वोडम्बट्ट, बरसिद समस्तनकरङ्गलाप्प श्रो-गोम्मट ।। .
यह लेख तीन भागों में विभक्त है। प्रथम भाग में उल्लेख है कि उक्त तिथि को नगर जिनालय के पुजारियों ने बेल्गोल के व्यापारियों
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