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________________ श्रवण बेलगोल नगर में के शिलालेख कारिते वीरबल्लाल-पत्तन-स्वामिनामुना। नागेन पार्श्व देवाग्रे नृत्य-रङ्गाश्म-कुट्टिमे ॥ १२ ॥ श्रीमन्नयकीर्त्ति-सिद्धान्त-चक्रवर्तिगलो परोक्ष-विनयार्थबागिमुडिजमुमं निषिधियुमं श्रीमत्कमठ-पार्श्व-देवर बसदिय मुन्दण कलु-कट्टम नृत्य-रङ्गमुम माडिसिद तदनन्तर । श्री-नगर-जिनालयम श्री-निलयमनमल-गुण-गणम्माडिसिद। श्रीनागदेवसचिव श्रो-नयकीर्त्ति-व्रतीश-पद-युग-भक्त ।। १३ ॥ तजिनालय-प्रतिपालकरप्प नगरङ्गल ।। धरेयोल खण्डलि-मूलभद्र-विलसद्-वंशोद्भवरस्सत्य-शा. चरतर सिंह-पराक्रमान्वितरनेकाम्भोधि-वेला-पुरान्तर-नाना-व्यवहार-जाल-कुशलर विख्यात-रत्न-त्रयाभरणर ब्बेल्गोल-तीर्थ-वासि-नगरङ्गल रुढियं ताल्दिदर ॥१४॥ सकवर्ष १११८ नेय राक्षससंवत्सरद जेष्ठ सु १ बृहवार दन्दु नगर-जिनालयके यडवलगेरेय मोदलेरिय ताटमुं चारुसलगे-गद्देयु उडुकर-मनेय मुन्दण केरेय केलगण बेदले कोलग १० नगर-जिनालयद बडगण केति-सेट्टिय केरि प्रा-तङ्कण एरडु मने प्रा-अङ्गडि सेडेयक्कि गाण एरडु मनेगे हण अय्दु ऊरिङ्ग मल बिय हण मूरु ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003151
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Jain
PublisherManikchand Digambar Jain Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages662
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size21 MB
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