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________________ २५६ श्रवणबेलगोल नगर में के शिलालेख नन्दि- देवरु | श्री नेमिचन्द्र पण्डित देवरु । श्री-मूल- सङ्घद देशिय गाद पुस्तक- गच्छद श्री काण्ड कुन्दान्वय- भूषणरप्प श्रीमन्महामण्डलाचार्य्यर श्रीमन्नयकीर्त्ति सिद्धान्त - चक्रव र्त्तिगल गुडुं ॥ चितितल दाल राजिसिद धृत- सत्य' नेगल्द नागदेवामात्यं । प्रतिपालित- जिन चैत्य कृत-कृत्य' बोम्मदेव-सचिवापत्य ं ॥ ८ ॥ लद्रनिते ॥ मुददिं पट्टण-सामियेम्ब पेसरं ताल्दिद्द लक्ष्मी-समास्पदनप्प-गुण-मल्लि सेट्टि - विभुगं लोकोत्तमाचार-सस्पदेगी - माचेवे सेट्टिकव्वेगम नूनोत्साहमं ताल्दि पुट्टिद चन्दव्वे रमाम्र-गण्ये भुवन प्रख्यातियं ताल्दिदल || ६ || तत्पुत्र || परमानन्द दिनेन्तु नाकपतिगं पौलोमिगं पुट्टियों वर - सौन्दर्य जयन्तनन्ते तुहिन क्षीरे।द कल्लोल- भासुर- कीर्त्तिप्रिय नागदेव-विभुगं चन्दव्बेगं पुट्टिदां स्थिरनी-पट्टण-सामि विश्व - विनुतं श्रीमल्लिदेवादयं ॥१०॥ क्षितियोल विश्रुत नम्म देव- विभुगं जोगव्येगं प्रोद्भवत्सुतनी-पट्टस मिगार्ज्जित-यशङ्गी-मल्लि देवङ्गमूजितेगी- कामलदेविगं जनकनम्भोजास्येगुर्व्वीतलस्तुतेगी चन्दले नारिगीशनेसेद' श्रीनागदेवेात्तमं ॥ ११ ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003151
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Jain
PublisherManikchand Digambar Jain Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages662
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size21 MB
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