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२५० श्रवण बेलगोल नगर में के शिलालेख माणिस्य भण्डारि-रामदेव-नायकर सन्निधियलु श्रीमन्नय. कोति-देवरु कोट्ट शासनपत्थलेय-क्रमवेन्तेन्दडे गोम्मट-पुरद मनेदेरे अक्षय-सवत्सर मोदलागि प्राचन्द्रार्क-तार बर सलुवन्तागि हणवोन्दर मोदलिङ्ग एन्टुहणव तेत्तु सुखविप्परु तेलिगर गाणवोलगागि अरमनेय न्यायवन्यायमलब्रय एनु बन्दडं प्रास्थलदाचार्यरु तावे तेत्तु निनयिसुवरु ओकल कारण कथेयिल्ल ई-शासन-मर्यादेय मीरिदवरु धर्म-स्थलव कंडिसिदवरु ई-तीर्थद नखरङ्गलोलगे ओब्बरिब्बरु ग्रामिपिगलागि प्राचार्यरिगे कौटिल्य-बुद्धिय कलिसि वोन्दकोन्द नेनदु तोलसाटव माडि हाग वेलेयनलिहि बेडिकोल्लियेन्दु प्राचा
यंरिगे मनंगादृडे अवरु समय-द्रोहरु राजद्रोहरु बणजिगपगेयरु नेत्त-गयरु कोलेकवतेंगोडेयरु इदनरिदु नखरालु उपेक्षिसिदरादडे ई-धर्मव नखरङ्गले केडिसिदवरल्लदे प्राचार्यरुं दुर्जन; केडिसिदवरल्द नखरङ्गल अनुमतविल्लदे ओबरिबरु ग्रामिणिगलु प्राचार्य्यर मनेयनक्के अरमनेयनके होकडे समयद्रोहरु मान्य-मन्नणेय पूर्व-मर्यादे नडसुवरु ई-मर्यादेय किडिसिदवरु गङ्ग-तडिय कविलेयं ब्राह्मण कोन्द पापद होहरु ।
स्व-दत्तां पर दत्तां वा यो हरेति वसुन्धरां । षष्टिवर्ष-सहस्राणि विष्टायां जायते कृमिः ।। ४ ।।
[ नयकीर्ति सिद्धान्त चक्रवर्ति के शिष्य दामनन्दि, भानुकीर्ति, बालचन्द्र, प्रभाचन्द्र, माघनन्दि, पद्मनन्दि और नेमिचन्द्र हुए। इनके शिष्य नयकीर्तिदेव हुए। नयकीर्त्तिदेव ने वीरबल्लालदेव के कुमार
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