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श्रवण बेलगोल नगर में के शिलालेख २५१ सोमेश्वरदेव के मंत्री रामदेव नायक के समक्ष बल्गोल नगर के व्यापारियों को यह शासन दिया कि वे सदैव के लिये पाठ ‘हण' का टैक्स दिया करेंगे जिसका एक 'हण' व्याज पा सकता है। इसके अतिरिक्त वे और कोई टैक्स नहीं देवेंगे। यदि राज्य की ओर से कोई न्याय, अन्याय व मलब्रय टैक्स लगाये जावेंगे तो स्वयं बल्गोल के प्राचार्य ही उसका प्रबन्ध करेंगे। यदि कोई व्यापारी श्राचाय को छल-कपट सिखावेंगे तो वे धर्म के और राज्य के द्रोही ठहरेंगे। व्यापारियों को अपने अधिकार पूर्ववत् ही रहेंगे। ये व्यापारी खंडलि और मूलभद्र के. वंशज जैनधर्मावलम्बी थे।
[नोट-श्रवण बेग्गोल पर पूरा अधिकार जैनाचार्य का ही था। वहां के टैक्स श्रादि का भी वे ही प्रबन्ध करते थे।]
१२८ ( ३३४) नगर जिनालय में दक्षिण की ओर
( शक सं० १२०५) उक्तं श्री मूलसङ्कऽस्मिन्बलात्कार-ग......... ...............शास्त्रसाराख्य-शास्त्रकृत् ।। १ ॥ श्रीमत्परम-गम्भीर-स्याद्वादामोघ-लान्छन । जीयात् त्रैलोक्य-नाथस्य शासनं जिन-शासनं ॥ २ ॥ नम: कुमुदचन्द्राय विद्या-विशद-मूर्तये । यस्य वाक्-चन्द्रिका भव्य-कुमुदानन्द-नन्दिनी ॥ ३ ॥ नमो नम्नजनानन्द-स्यन्दिने माघन्दिने। जगत्प्रसिद्ध-सिद्धान्त-वेदिने चित्प्रमोदिने ॥ ४ ॥
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