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विन्ध्यगिरि पर्वत पर के शिलालेख
२२७
[ नोट -- लेख में नल संवत्सर का उल्लेख है । शक सं० १२३८ नल था ]
११५ (२६७ )
अखण्ड बागिलु की शिला पर
( लगभग शक सं० १०८२ )
स्वस्ति श्रीमन्महाप्रधान भव्य-जन- निधानं सेनेयङ्ककार रण-रङ्ग-नीर श्रीमन्मरियाने दण्डनाथानुजं दानभानुजनेनिसिद भरतमय्य-दण्डनायकनी - भरत बाहुबलि केव लिगल प्रतिमेगलुमनी - बस दिलुमातीर्थ-द्वार पक्ष -शोभात् माडिसिदनी - रङ्गद हप्पलिगेयुमनी महा सोपानपङ्कियुमं रचिसिदं श्रीगोम्मटदेवर सुत्तलु रङ्गम-हप्पलिगेयं बिगियिसिदनन्तुमल्ल देयुमी-गङ्गवाडिनाडोलल्लिगल्लिगेल्लि नोप्पड |
कन्द ॥ प्रकट-यशो - विभुवेण्ब
कन्ने- सदिगल नासेदु जीर्नोद्धार
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प्रकरम निन्नूर नल
किक- धृति माडिसिदने सेये भरत चमूपं ॥ १ ॥
भरत चमूपतिसुते सु
स्थिरे शान्तल - देवि बूचिराजाङ्गने तद्वरतनेयं मरि......
...नो सदु बरयिसिदनिदं ॥ २ ॥
[ मरियणे दण्डनाथ के लघु भ्राता महामंत्री भरतमय्य दण्डनायक ने ये भरत और बाहुबलि केवलि की मूर्तियां व ये बस्तियां इस तीर्थ -
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