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विन्ध्यगिरि पर्वत पर के शिलालेख
का किला विजय करने तथा अपने प्रधान कोषाध्यक्ष, नयकीति देव के शिष्य 'हुल्लय' द्वारा उक्त तीने ग्रामों के दान को पूरा करने का उल्लेख है। ___अन्त में नयकीति देव के शिष्य अध्यात्मि बालचन्द्र के अपने गुरु के स्मारक अनेक शासन रचने व तालाब आदि निर्माण करवाने का. उल्लेख है।].
[नोट-पद्य १७ से ऐसा विदित होता है कि उसके लिखे जाने के समय नयकीर्ति जीवित थे। किन्तु अन्तिम पद्य से स्पष्ट होता है कि उनके लिखे जाने के समय नयकीति का स्वर्गवास हो चुका था। सम्भव है कि लेख का पूर्व भाग ( पद्य २१ तक ) नयकीति के जीवनकाल में ही लिखा गया हो और शेष भाग पीछे से जोड़ा गया हो ।
८१ ( २४१) उपर्युक्त लेख के नीचे
( लगभग शक सं० ११००) स्वस्ति समस्तगुणसम्पन्नरप्प श्रीबेलुगुलतीर्थद समस्त माणिक्य नखरङ्गलु श्रीगोम्मटदेवर पारिश्वदेवरिगे वर्षनिबन्नियागि हूविनपडिगे जातिहवलके तोलेगे ता १ करिदके वीस १ यिद आचन्द्रार्कतारं बरं सलिसुवरु ।। मङ्गल महा श्री श्री ॥
[ बेल्गुल के समस्त जौहरियों ने गोम्मट देव और पार्श्वदेव की पुष्प-पूजन के लिए अपने माणिक्यों पर उक्त वार्षिक चन्दा देने का संकल्प किया।
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