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________________ विन्ध्यगिरि पर्वत पर के शिलालेख १७७ प ३ उयमसेट्टि बिदियमसेट्टि प ४ महदेव सेट्टि रट्टे सेट्टि प २ पारिससेट्टि बसविसेट्टि रायसेट्टि प ४ मारगुलिसेट्टि होय्सलसेट्टि २ नम्बिदेवसेट्टि प ५ चे किसेट्टि प ५ जिन्निसेट्टि प ५ बाहुबलिसेट्टि ५ पट्टण सामि अङ्किसेट्टि मालिसेट्टि प ३ महदेवसेट्टि गोविसेट्टि प २ बम्मिसेट्टि सूकिसेट्टि प २ माराण्डिसेट्ट महदेवसेट्टि प २ बैरिसेट्टि मारिसेट्टि प २ सेाविसेट्टि दुद्दिसेट्टि प २ हारुवसेट्टि हरदिसेट्टि प २ बम्माण्डि प २ सान्तेय प १ कूतैय्य प २ मास सेट्टि कृतिसेट्टि बसविसेट्टि प ३ चट्टिसेट्टि बस विसेट्टि प १ मल्लिसेट्टि प १ महदेव बयिर प २ बम्मेय मसण प २ कालेय गाडेय प २ गवुडुसामि मदवनिगसेट्टि प २ मालिसेट्टि पारिस सेट्टि प २ होल्लिसेट्टि बोकिसेट्टि प २ गङ्गिसेट्टि सेट्टि देविसेट्टि (प) २ मालिसेट्टि दम्मिसेट्टि प २ मारिसेट्टि तमसेट्टि प २ मारज हरियण कालेय प २ मारगौण्डनहल्लिय गुम्मज्ज बैरेय प १ मा किसेट्टि बूविसेट्टि प १ एचिसेट्टि प १ कवेय महदेवसेट्टि पारिस्स सेट्टि प १ निडिय मल्लिसेट्टि प १... [ मोसले के बड्ड व्यवहारि बसवसेट्टि द्वारा प्रतिष्ठापित चतुर्विंशति तीर्थकरों की श्रष्टविधपूजन के लिए मोसले के महाजनों ने उक्त मासिक चन्दा देने का संकल्प किया । ] Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003151
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Jain
PublisherManikchand Digambar Jain Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages662
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size21 MB
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