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________________ १६८ विन्ध्यगिरि पर्वत पर कं शिलालेख ८४ (२५०) उसी स्तम्भ की दूसरी बाजू पर . (शक सं० १५५६ ) श्री शालिवाहन शकवरुष १५५६ नेय भावसंवत्सरद आषाढ़-शु-१३ स्थिरवार ब्रह्मयोगदलु श्रीमन्महाराजाधिराज राजपरमेश्वर मैसूरपट्टनाधीश्वर षड्दरुशन-धर्मस्थापनाचार्यराद चामराजवोडेयरु अय्यनवरु बेलुगुलद स्थानदवर क्षेत्रवु बहुदिन अडवु ागिरलागि आचामराजवोडेयरु-अय्यनवर यीक्षेत्रव अडवहिडिदन्तावरु होसवालल केम्पप्पन मग चन्नएन बेलुगुलद पायिसे ट्टियर मक्कलु चिकन चिगपायसेट्टि यिवरु मुन्ताद अडवहिडिदन्तावर करसि निम्म अडविन सालवनु तीरिसेनु यन्नलागि चन्नन चिकन चिगपायि सेट्टि मुद्दण्न प्रज्जण्णन पदुमप्पन मग पण्डेग्न पदुमरसय्य दाडुण्न पञ्चबाणकविगल मग बम्मप्प बोम्मणकवि विजेयग्न गुम्मण्न चारुकीर्ति नागप्प बेडदथ्य बाम्मिसेट्टि होसहलिय रायपन परियण्नगौड बरसेट्टि बरण्न वीरय्य इवरु मुन्ताद समस्तरु तम्म तन्देतायिगलिगे पुण्येवागलियेन्दु गोम्मटस्वामिय सन्निधियलि तम्म गुरु चारुकीर्तिपण्डितदेवर मुन्दे धारादत्तवागि यी-अडहिन पत्रसालवनु यी-अडव कोट्ट स्थातदवरिगे यी-वर्तकरु गौडुगलु यी-सालवनु धारापूर्वकवागि कोट्टेवु यी विट्टन्त पत्रसालवनु भावनादरु अलुपिदरे काशिरामेश्वरदल्लि Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003151
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Jain
PublisherManikchand Digambar Jain Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages662
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size21 MB
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