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चन्द्रगिरि पर्वत पर के शिलालेख
७२ (१६७)
भद्रबाहु गुफा के बाहर पश्चिम की ओर चट्टान पर
( शक सं० १७३१ )
शालिवाहन शकाब्दाः १७३१ नेय शुक्लनामसंवत्सरद भाद्रपद व ४ बुधवारदनि । कुन्दकुन्दान्य (न्वय) देसि गणद श्री चारु । शिष्यराद अजितकी र्त्ति - देवरु अवर शिष्यरु शान्तिकीर्त्ति देवर शिष्यराद अजितकीर्त्तिदेवरु मासेोपवासवं सम्पूर्ण माडिई गवियल्लि देवगतरादरु |
पण्डितदेव ) के शिष्य श्रजितकीर्ति
[ कुन्दकुन्दान्वय देशीगण के चारु (कीर्ति अजितकीतिदेव के शिष्य शान्तकीर्ति देव के शिष्य देव ने एक मास के उपवास के पश्चात् शक सं० १७३१ भाद्रपद बदि ४ बुधवार को स्वर्गगति प्राप्त की । ]
७३ (१७०)
भद्रबाहु गुफा के मार्ग पर चरणचिह्न के पास चट्टान प
( सम्भवतः शक सं० ११३८ ) स्वस्ति श्री ईश्वर संवत्सरद मलयाल कादयु-सङ्करनु इल्लिई एच गय दडवण हुणिसेय मूरुगुण्डिगे
[ इस स्थान पर खड़े होकर 'मलयाल कोदयु सङ्कर' ने श्राई भूमि के पश्चिम की ओर इमली के वृक्ष के समीप की तीन शिलान
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