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श्रवणबेलगोल के स्मारक नाम तेरिनवस्ति पड़ा है। इसमें बाहुबलि स्वामी की मूत्ति है। इसी से इसे बाहुबलि बस्ति भी कहते हैं। इसकी लम्बाई चौड़ाई ७०४ २६ फुट है। बाहुबलि स्वामी की मूर्ति पाँच फुट ऊँची है। सन्मुख के रथाकार मन्दिर पर चारों ओर बावन जिन-मूर्तियाँ खुदी हुई हैं। मन्दिर दो प्रकार के होते हैं नन्दीश्वर और मेरु। उक्त रथाकार मन्दिर नन्दीश्वर प्रकार का कहा जाता है। इस पर के लेख (नं० १३७ शक सं० १०३८) से विदित होता है कि इस मन्दिर और बस्ति को विष्णुवर्द्धन नरेश के समय के पोयसल सेठ की माता माचिकब्बे और नेमि सेठ की माता शान्तिकब्बे ने निर्माण कराया था।
१३ शान्तीश्वर बस्ति-इसकी लम्बाई-चौड़ाई ५६ x ३० फुट है। यह मन्दिर ऊँची सतह पर बना हुआ है। इसकी गुम्मट पर अच्छी कारीगरी है। गर्भगृह के बाहर सुखनासि में यक्ष-यक्षिणी की मूर्तियाँ हैं। पीछे की दीवाल के मध्य-भाग में एक आला है जिसमें एक खड्गासन जिन-मूत्ति खुदी हुई है। इस मन्दिर को कब और किसने निर्माण कराया, यह निश्चय नहीं हो सका है।
१४ कूगेब्रह्मदेवस्तम्भ-यह विशाल स्तम्भ चन्द्रगिरि पर्वत पर के घेरे के दक्षिणी दरवाजे पर प्रतिष्ठित है। इसके शिखर पर पूर्वमुखी ब्रह्मदेव की छोटी सी पद्मासन प्रतिमा विराजमान है। इसकी पीठिका आठों दिशाओं में आठ हस्तियों पर प्रतिष्ठित रही है पर अब केवल थोड़े से ही हाथी
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