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चन्द्रगिरि
११ लम्बाई-चौड़ाई ५५४२६ फुट है। आदिनाथ स्वामी की मूत्ति पाँच फुट ऊँची है और प्रभावली से अलंकृत है। दोनों और चौरी-वाहक खड़े हैं। गर्भगृह के बाहर सुखनासि में यक्ष और यक्षिणी की मूर्तियाँ हैं। आदिनाथ स्वामी के सिंहासन पर लेख है (नं०६३) कि इस मन्दिर को गङ्गराज सेनापति की भार्या लक्ष्मी ने निर्माण कराया था।
११ सवतिगन्धवारणबस्ति-होयसलनरेश विष्णुवर्द्धन की रानी का नाम शान्तल देवी और उपनाम 'सवतिगन्धवारण' ( सौतों के लिए मत्त हाथी ) था। इसी पर से इस मन्दिर का यह नाम पड़ा है। साधारणत: इसे गन्धवारण-बस्ति कहते हैं। मन्दिर विशाल है जिसकी लम्बाईचौड़ाई ६६४३५ फुट है। शान्तिनाथ स्वामी की मूर्ति प्रभावली-संयुक्त पाँच फुट ऊँची है। दोनों ओर दो चौरीवाहक खड़े हैं। सुखनासि में यक्ष यक्षिणी किम्पुरुष और महामानसि की मूर्तियाँ हैं। गर्भगृह के ऊपर एक अच्छी गुम्मट है। बाहरी दीवालें स्तम्भों से अलंकृत हैं। दरवाजे पर के लेख ( नं० ५६ ) और शान्तिनाथ स्वामी के सिंहासन पर के लेख ( नं० ६२ ) से विदित होता है कि इस बस्ति को विष्णुवर्द्धन नरेश की रानी शान्तल देवी ने शक सं० १०४४ में निर्माण कराया था।
१२ तेरिनबस्ति इस मन्दिर के सम्मुख एक रथ ( तेरु ) के आकार की इमारत बनी हुई है। इसी से इसका
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