________________
श्रवणबेलगोल के स्मारक शासन बस्ति-मन्दिर के दरवाजे पर जो लेख शासन नं० ५६ ) है, जान पड़ता है, उसी से इसका नाम शासनबस्ति पड़ा है। इसकी लम्बाई-चौड़ाई ५५४ २६ फुट है। गर्भगृह में आदिनाथ भगवान् की पाँच फुट ऊँची मूर्ति है जिसके दोनों ओर चौरी-वाहक खड़े हुए हैं। सुखनासि में यक्ष यक्षिणी गोमुख और चक्रेश्वरी की प्रतिमाएँ हैं। बाहरी दीवालों में स्तम्भों और बालों की सजावट है। बीच-बीच में प्रतिमाएँ भी उत्कीर्ण हैं। आदिनाथ स्वामी के सिंहासन पर लेख है (नं० ६५) कि इस मन्दिर को गङ्गराज सेनापति ने "इन्दिराकुलगृह' नाम से निर्माण कराया। दरवाजे पर के लेख में समाचार है कि शक सं० १०३६ फाल्गुण सुदि ५ को गङ्गराज ने 'परम' नाम के ग्राम का दान दिया। यह ग्राम उन्हें विष्णुवर्द्धन नरेश से मिला था। इसी समय से कुछ पूर्व मन्दिर बना होगा।
मज्जिगण्णबस्ति-इसकी लम्बाई-चौड़ाई ३२x १६ फुट है। इसमें अनन्तनाथ स्वामी की साढ़े तीन फुट ऊँची प्रतिमा है। बाहरी दीवाल के आसपास फूलदार चित्रकारी के पत्थरों का घेरा है। मन्दिर के नाम से अनुमान होता है कि उसे किसी मज्जिगण्ण नाम के व्यक्ति ने निर्माण कराया होगा। पर समय निश्चित किये जाने के कोई साधन उपलब्ध नहीं हैं।
१० एरडुकट्टेबस्ति-इस मन्दिर का नाम उसके दायीं और बायीं बाजू पर की सीढ़ियों पर से पड़ा है। इसकी
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org