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चन्द्रगिरि
एक सुन्दर गुम्मट भी है। इसमें नेमिनाथ स्वामी की पांच फुट ऊँची मनोहर प्रतिमा है। गर्भगृह के दरवाजे पर दोनों बाजुओं पर क्रमशः यक्ष सर्वाह्न और यक्षिणी कुष्माण्डिनी की मूर्त्तियाँ हैं। बाहरी दोवालें स्तम्भों, ग्रालों और उत्कीर्ण या उचेली हुई प्रतिमाओं से अलंकृत हैं। बाहरी दरवाजे की दोनों बाजुओं पर नीचे की ओर' श्री चामुण्डराजं माडिसिदं' ( २२३ ) ऐसा लेख है। इससे स्पष्ट है कि यह बस्ति स्वयं गङ्गनरेश राचमल के मन्त्री चामुण्डराज ने निर्माण कराई थी और उसका समय ८२ ईस्वी के लगभग होना चाहिये । पर नेमिनाथ स्वामी के सिंहासन पर लेख है (६६) कि गङ्गराज सेनापति के पुत्र 'एच' ने त्रैलोक्यरञ्जन मन्दिर अपरनाम बाप्पाचैत्यालय निर्माण कराया था । यह लेख सन् १९३८ के लगभग का अनुमान किया जाता है। ऐसा प्रतीत होता है कि एच का निर्माण कराया हुआ चैत्यालय कोई अन्य रहा होगा जो अब ध्वंस हो गया है और यह नेमिनाथ स्वामी की प्रतिमा वहीं से लाकर इस बस्ति में विराजमान करा दी गई है। मन्दिर के ऊपर के खण्ड में एक पार्श्वनाथ भगवान की तीन फुट ऊँची मूर्ति है। उनके सिंहासन पर लेख है ( नं० ६७ ) कि चामुण्डराज मन्त्रो के पुत्र जिनदेव ने बेलगोल में एक जिनभवन निर्माण कराया । अनुमान किया जाता है कि इस लेख का तात्पर्य मन्दिर के इसी ऊपरी भाग से है जो नीचे के खण्ड से कुछ पीछे बना होगा ।
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