SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 29
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्रवणबेल्गोल के स्मारक स्वामी की मूर्ति खड्गासन ११ फुट ऊँची है। मन्दिर के बनने का समय ज्ञात नहीं। ५ सुपार्श्वनाथ बस्ति-इस मन्दिर की लम्बाईचौडाई २५४ १४ फुट है। सुपार्श्वनाथ स्वामी की पद्मासन मूर्ति तीन फुट ऊँची है, जिसके ऊपर सप्तफणी नाग की छाया हो रही है। मन्दिर के बनने के विषय की कोई वार्ता विदित नहीं है। ६ चन्द्रप्रभ बस्ति-इस मन्दिर का क्षेत्रफल ४२४ २५ फुट है। चन्द्रप्रभस्वामी की पद्मासन मूर्ति तीन फुट ऊँची है। सुखनासि में उक्त तीर्थकर के यक्ष और यक्षिणी श्याम और ज्वालामालिनि विराजमान हैं। मन्दिर के सामने एक चट्टान पर 'सिबमारन बसदि' (२५६ ) ऐसा लेख है। इस लेख की लिपि से ऐसा प्रतीत होता है कि सम्भवतः उसमें गङ्गनरेश शिवमार द्वितीय, श्रीपुरुष के पुत्र, का उल्लेख है। शिवमार के द्वारा जिस 'बस दि' (बस्ति ) के बनने का लेख में उल्लेख है, सम्भव है वह यही चन्द्रप्रभ-बस्ति हो; क्योंकि इसके निकट अन्य और कोई बस्ति नहीं है। यदि यह अनुमान ठीक हो तो यह बस्ति सन् ८०० ईस्वी के लगभग की सिद्ध होती है। ७ चामुण्डराय बस्ति-यह विशाल भवन बनावट और सजावट में इस पर्वत पर सबसे सुन्दर है। इसकी लम्बाई-चौड़ाई ६८४३६ फुट है। ऊपर दूसरा खण्ड और Jain Education International For Private & Personal Use Only ___www.jainelibrary.org
SR No.003151
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Jain
PublisherManikchand Digambar Jain Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages662
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size21 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy