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श्रवणबेलगोल के स्मारक मूलनायक श्री आदिनाथ भगवान की छः फुट ऊँची पद्मासन मूर्ति बड़ी ही हृदय-ग्राही है। दोनों बाजुओं पर दो चौरीवाहक खड़े हैं। मन्दिर के ऊपर दूसरा खण्ड भी है पर वह जीर्ण अवस्था में होने के कारण बन्द कर दिया गया है। सभा-भवन के बाहरी ईशान कोण पर से ऊपर को सीढ़ियाँ गई हैं। कहा जाता है कि महोत्सव के समय ऊपर प्रतिष्ठित स्त्रियों के बैठने का प्रबन्ध रहता था। आदीश्वर भगवान के सिंहासन पर जो लेख है (नं० ६४ ) उससे ज्ञात होता है कि इस बस्ति को होयसल-नरेश विष्णुवर्द्धन के सेनापति गङ्गराज ने अपनी मातृश्री पोचब्बे के हेतु निर्माण कराया था। इससे इसका निर्माण-काल सन् १११८ के लगभग सिद्ध होता है। सभा-भवन पीछे निर्मापित हुआ जान पड़ता है। इसका जीर्णोद्धार लगभग ७० वर्ष हुए मैसूरराजकुल की दो महिलाओं-देवीरम्मणि और केम्पम्मणि-द्वारा हुआ है। यह बात ध्यान देने योग्य है कि इस पर्वत पर केवल यही एक मन्दिर है जिसके गर्भगृह के चारों ओर प्रदक्षिणा भी है।
३ चन्द्रगुप्त बस्ति -यह चंद्रगिरि पर्वत पर सबसे छोटा जिनालय है, जिसकी लम्बाई-चौड़ाई केवल २२४१६ फुट है : इसमें लगातार तीन कोठे हैं और सामने बरामदा है। बीच के कोठे में पार्श्वनाथ भगवान की मूर्ति है और दायेंबायें वाले कोठों में क्रमशः पद्मावती और कुष्माण्डिनी देवी की मूर्तियाँ हैं। बरामदे के दाहने छोर पर धरणेन्द्रयक्ष और
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