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श्रवणबेलगोल के स्मारक जिनालय एक दीवाल के घेरे के भीतर प्रतिष्ठित हैं। इस घेरे की उत्कृष्ट लम्बाई ५०० फुट और चौड़ाई २२५ फुट है। सब मन्दिर द्राविड़ी ढङ्ग के बने हुए हैं। इनमें से सबसे प्राचीन मन्दिर ईसा की आठवीं शताब्दि का प्रतीत होता है। घेरे के भीतर के मन्दिरों की संख्या १३ है। सभी मन्दिरों का ढङ्ग प्रायः एक सा ही है। सभी में साधारणतः एक गर्भगृह, एक सुखनासि खुला या घिरा हुआ, और एक नबरङ्ग रहता है। नीचे इस पहाड़ी के सब मन्दिरों व अन्य प्राचीन स्मारकों का सूक्ष्म वर्णन दिया जाता है:
१ पार्श्वनाथ बस्ति-इस सुन्दर और विशाल मन्दिर की लम्बाई-चौड़ाई ५६x२६ फुट है। दरवाजे भारी हैं। नवरङ्ग और सामने के दरवाजे के दोनों ओर बरामदे बने हुए हैं। बाहरी दीवालें स्तम्भों और छोटी-छोटी गुम्मटों से सजी हुई हैं। सप्तफणी नाग की छाया के नीचे भगवान् पार्श्वनाथ की १५ फुट ऊँची मनोज्ञ मूर्ति है। इस पर्वत पर यही मूर्ति सबसे विशाल है। सामने बृहत् और सुन्दर मानस्तम्भ खड़ा हुआ है जिसके चारों मुखों पर यक्ष-यतिणिों की मूर्तियाँ खुदी हैं। कहा नहीं जा सकता कि इस मन्दिर के निर्माण का ठीक समय क्या है। नवरङ्ग में एक बड़ा भारी लेख खुदा हुआ है ( लेख नं० ५४ ) जिसमें शक सं० १०५० में मल्लिषेण-मलधारि देव के समाधि-मरण का संवाद है। पर मन्दिर के निर्माण के विषय की कोई वार्ता
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