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चन्द्र गिरि अतिरिक्त कुछ बस्तियाँ ( जिन-मन्दिर ) भी इस पहाड़ी पर हैं। दूसरी छोटी पहाड़ी ( चिक्क बेट्ट), जो ग्राम से उत्तर की ओर है, चन्द्रगिरि के नाम से प्रख्यात है। अधिकांश और प्राचीनतम लेख और बस्तियाँ इसी पहाड़ी पर हैं। कुछ मन्दिर, लेख आदि ग्राम की सीमा के भीतर हैं और शेष श्रवणबेलगोल के आस-पास के ग्रामों में हैं। अत: यहाँ के समस्त प्राचीन स्मारकों का वर्णन इन चार शीर्षकों में करना ठीक होगा-(१) चन्द्रगिरि, (२) विन्ध्यगिरि, (३) श्रवण बेलगोल ( खास ) और ( ४ ) आस-पास के ग्राम । लेख नं० ३५४ के अनुसार श्रवणबेलगोल के समस्त मन्दिरों की संख्या ३२ है अर्थात् आठ विन्ध्यगिरि पर, सोलह चन्द्रगिरि पर और आठ ग्राम में । पर लेख में इन बस्तियों के नाम नहीं दिये गये।
चन्द्रगिरि चन्द्रगिरि पर्वत समुद्र-तल से ३,०५२ फुट की ऊँचाई पर है। प्राचीनतम लेखों में इस पर्वत का नाम कटवप्र* (संस्कृत) व कल्वप्पु या कल्बप्पु ( कनाड़ी) पाया जाता है। तीर्थगिरि और ऋषि-गिरि नाम से भी यह पहाड़ी प्रसिद्ध रही है। इरुवेब्रह्मदेव मन्दिर को छोड़ इस पर्वत पर के शेष सब
* देखो लेख नं. १, २७, २८, २९, ३३, १५२, १५६, १८६. +देखो लेख नं. ३४, ३५, १६०, १६१. +देखो लेख नं. ३४, ३५,
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