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________________ चन्द्रगिरि पर्वत पर के शिलालेख गण्डाद्यनेकनामावली-समालङ्कतरप्प श्रीमन्महामण्डलेश्वरं त्रिभुबनमल्ल तलकाडुगोण्ड भुज-बलवीर-गङ्ग विष्णुवर्द्धन होयसलदेवर विजयराज्यमुत्तरोत्तराभिवृद्धिप्रवर्द्धमानमा चन्द्राकतारं सलुत्तंइरे तत्पादपद्मोपजीवि ॥ वृत्त ।। जनताधारनुदारनन्यवनितादूरं वचस्सुन्दरी धनवृत्त-स्तन-हारनुपरणधीरं मारनेनेन्दपै । जनकं तानेने माकणब्बे विबुधप्रख्यातधर्मप्रयु. क्ते निकामात्तचरित्रेतायेनलिदेनेचं महाधन्यनो ॥ ३ ॥ कन्द ॥ वित्रस्तमलं बुधजन-~ मित्रं द्विजकुल पवित्रनेचम् जगदालु । पात्रमरिपुकुलकन्दघनित्रं कौण्डिन्यगोत्रन मलचरित्र ।। ४ ।। मनुचरितनेचिगाङ्कन मनेयोलमुनिजनसमूहमुं बुधजनमुं । जिनपूजनेजिनवन्दने जिनमहिमेगलाव कालमु शोभिसुगुं॥ ५ ॥ उत्तमगुणततिवनितावृत्तियनोलकोण्डुदेन्दु जगमेल्लं कैय्येत्तुविनममलगुणसम्पत्तिगे जगदोलगे पोचिकब्बेयेनोन्तलु ॥ ६ ॥ अन्तेनिसिदेचिराजन पोचिकब्बेय पुत्रनखिल-तीर्थंकरपरम-देव-परम-चरिताकर्णनोदीर्ण-विपुल-पुलक-परिकलित वार Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003151
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Jain
PublisherManikchand Digambar Jain Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages662
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size21 MB
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