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कांचिन दो के मार्ग पर के शिलालेख
श्री सरेयगये कवट्टद लो......। [ कवह में एरेयगवे......]
३६ (१४५ )
( लगभग शक सं० ६२२ )
३७ (१४६ )
( लगभग शक सं० १०७२ )
श्रीमतु गरुडकेसिराज स्थिरं जीयातु ।
( दक्षिणमुख )
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३८ (५-८)
(शक संo ८६६ )
कूगे ब्रह्मदेव स्तम्भ पर
स्वस्ति म. .म् उदधिं कृत्वावधिं मेदिनी ...चक्र......धवा भुञ्जन् भुजासेर्बलात् । न्यश्री जग......पतेर्गङ्गान्वयक्ष्माभुजां भूषा-रत्नमभू. वनितावक्तेन्दुमेघादयः ॥ १ ॥ तस्य सकलजगतीतला त्तुङ्ग गङ्गकुल कुमुद
गद्य
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