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चन्द्रगिरि पर्वत पर के शिलालेख । १५ करेइल-नस्तप-धर्मदा-ससिमति-श्री-गन्तियर्वन्दुमेल ॥ अरिदायुष्यमनेन्तु नोडेनगे तानिन्तेन्दु कल्वप्पिनुल । तोरदाराधने-नोन्तु तीर्थ-गिरि-मेल स्वर्गालयकेरिदार ॥
[व्रत-शील-श्रादि-सम्पन्न ससिमति-गन्ति कल्वप्पु पर्वत पर आई और यह कहकर कि मुझे इसी मार्ग का अनुसरण करना है तीर्थगिरि पर सन्यास धारणकर स्वर्गगामी हुई।]
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