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________________ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org S नंबर प्राचार्य का नाम गुरु का नाम संघ, गण, गच्छादि लेख नं० समय १०८ बालचन्द्रदेव नेमिचन्द्र पं० देव मू० दे० इंगिले श्वर बलि X १० ६ अभिनव पण्डिता चाय S ११० पद्मनन्दिदेव १११ चारुकीत्ति पं० आचार्य ११२ " (अभिनव S X ११८ ११६ पण्डिताचार्य व त्रविद्यदेव X ११३ मल्लिषेणदेव लक्ष्मीसेन भट्टारक ११४ सोमसेनदेव पण्डितदेव १२० श्रुतमुनि X ११५ भुवन १२६ सिहनन्दिश्राचार्य X ११७ हेमचन्द्रकीत्ति देव शान्तिकीत्ति देव चन्द्रकीति X X X X पण्डिताय मुनि मु० >> X X X X X X X X पु० "" "" ४६० अ० ४२१ श्र. १२३३ / "" ११४. १२३८ समाधि मरण । ४३२. ११३६ १३२ अ. १२४७ एक शिष्य ने मां गायिवस्ति निर्माण कराई । > ४३० २४७ . १३२० निषद्या । "" ३७१ ३७२ ३७४ " ११२ " " विशेष विवरण ܕܙ ܕܐ एक शिष्य ने बन्दना की । निषद्या । निषद्या । १०६ १३३१ भूमिदान | ४२८ . १३३० इनकी शिष्या देवराय महाराय की रानी भीमादेवी ने मूर्ति प्रतिष्ठा कराई। १३४४ | इनके समक्ष दण्डनायक इरुगप ने बेल्गोल १२६ ८२ ( १६० )
SR No.003151
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Jain
PublisherManikchand Digambar Jain Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages662
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size21 MB
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