________________
x
ग्राम का दान दिया। ४ २२ अ०१३६. संघ सहित बन्दना को आये ।
x
Jain Education International
१२१ जिनसेन भट्टारक
| ( पट्टाचार्य ) १२२ अभिनव पण्डित चारुकीत्ति पं. देव
देव पण्डितदेव
x
x
४८४/०१४२०
m
x x
xxx xx
१२४ चारुकीर्तिभट्टारक १२५ पण्डितदेव १२६ ब्रह्मधर्मरुचि) १२७, "गुण सागर
अभयचन्द्रभट्टारक १२८ चारुकीर्तिपं० देव
xx
For Private & Personal Use Only
३७७ अ०१५२० चरणचिह्न । ११७ अ०१५३३ ३३३ संवत् १५- यात्रा।
५८(वि.) ८४ १५५६ इनके समक्ष मैसूर-नरेश ने मन्दिर की १४२ १५६५ भूमि ऋणमुक्त कराई।
स्वर्गवास।
x
१२६ धर्मचन्द्र
चारुकीति
बलात्कार गण
११८ १५७० इनके उपदेश से वधेरवालों ने चौबीस
तीर्थकर प्रतिमा प्रतिष्ठित कराई । ११६ १६०२ इनके साथ तीर्थ-यात्रा।।
१३० श्रुतसागर बर्णी
xx
१३१) इन्द्रभूषण
राजकीति के । शिष्य लक्ष्मीसेन
११६ वि० सं० इनके साथ वघेरवालों ने तीर्थयात्रा
१७१६ की।
www.jainelibrary.org