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६६ अभयनन्दि
सुरकीत्ति गुणचन्द्र
६ ६
भानुकीत्ति १०० माघनन्दि भट्टारक १०१ चन्दप्रभदेव
१०२ चन्द्रकीर्त्ति भट्टारक १०३ प्रभाचन्द्र भट्टारक १०४ सुनिचन्द्रदेव
१०५ पद्मनन्दिदेव
१०६
कुमुदचन्द्र
१०७ माघनन्दि सि० च०
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माघनन्दिसि ०च० मू० दे० पु० भानुकीति नयीति देव
म० म०
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उदयचन्द्रदेव
म० म०
चन्द्रप्रभदेव
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१३७ १२०० इन श्राचार्यों और अन्य सम्यनों ने चन्दा
किया ।
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होय्सलराय राजगुरु । सम्भवतः ये ही उस शास्त्रसार के कर्ता हैं जिसका उल्लेख प्रारम्भ के एक श्लोक में श्राया है। माणिकचन्द्र ग्रन्थमाला नं० २१ में एक 'शास्त्रसार समुच्चय' नामक ग्रन्थ छुपा है और भूमिका में कहा गया है कि सम्भवतः वे कुमुदचन्द्र के गुरु थे । ( देखा मा० ग्र० भूमिका पृ० २३-२४ )
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