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________________ नंबर प्राचार्य का नाम गुरु का नाम संघ,गण,गच्छादि लेख नं० समय शक सं०में विशेष विवरण Jain Education International ६ चरितश्री मुनि ७ पानप (मौनद) ८ बलदेव गुरु ay wa " धर्मसेन गुरु ६ उग्रसेन गुरु । पहिनि गुरु For Private & Personal Use Only अ० ६२२ समाधिमरण। " । समाधिमरण । । इनके गुरु 'कित्तर' परगने में 'वेल्माद' नामक स्थान के थे। " । इनके गुरु 'मालनूर' के थे। उग्रसेनजी ने एक मास तक अनशन किया। " । लेख नं. २ में सम्भवतः इन्हीं मौनिगुरु का उल्लेख है। गुणसेन 'कोहर' के थे। १० गुणसेन गुरु xx xxx xxxx मौनि गुरु xx ११ उल्लिकल गुरु १२ कालावि(कला पक) गुरु १३ नागसेन गुरु १४ सिंहनंदि गुरु गुणभूषित - १४ | " www.jainelibrary.org ऋषभसेन गुरु वेडे गुरु ४ एक शिष्य का समाधिमरण । समाधिमरण । " । लेख बहुत घिसा है, इससे भाव स्पष्ट नहीं हुआ। सन्द्विगगण(?). २१
SR No.003151
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Jain
PublisherManikchand Digambar Jain Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages662
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size21 MB
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