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लान्वय
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श्रवणबेल्गोल के स्मारक लेख नं. ४६३ में द्रमिणगण के अरुङ्गलान्वय का उल्लेख है। इन्द्रनन्दि-कृत नीतिसार व देवसेन-कृत दर्शनसार
में द्राविड़ संघ जैनाभासों में गिनाया गण अरुङ्ग- गया है। पर जिस द्रमिणगण का उक्त
लेख में उल्लेख है वह इस जैनाभास संघ से भिन्न है। उक्त द्रमिण संघ स्पष्टतः नन्दि सघ के अन्तर्गत कहा गया है। लेख नं० ५०० में मूल संघ कारगण, तगरिलगच्छ
___का उल्लेख है। सम्भवतः यह गण कारगरगण,
भी देशीगण व नन्दि संघ से सम्बन्ध तगरिल गच्छ
रखनेवाला ही है। काष्टा संघ लेखनं० ११६ में काष्ठास घमंडितटमण्डितटगच्छ गच्छ का उल्लेख है।
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