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श्रवणबेल्गोल के स्मारक शान्तिदेव (विनयादित्य पोय्सल नरेश द्वारा पूज्य) चतुर्मुखदेव (पाण्ड्य नरेश द्वारा स्वामी की उपाधि और पाहवमल्लनरेश द्वारा चतुर्मुखदेव की उपाधि प्राप्त की) गुणसेन ( मुल्लर के ) अजितसेन वादीभसिंह
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शान्तिनाथ कविताकान्त पद्मनाभ वादिकोलाहल कुमारसेन मल्लिषेण मलधारि (अजितसेन पण्डितदेव के शिष्य, स्वर्गवास
शक सं० १०१०) उपर्युक्त वंशावलियों के प्राचार्यो में से कुछ के विषय में जो खाख़ ख़ास बाते लेखों में कही गई हैं वे इस प्रकार हैं
कुन्दकुन्दाचाय-ये मूल संघ के अग्रगणी थे ( मूलसंघाग्रणीगणी) (५५)। इन्होंने उत्तम चारित्र द्वारा चारण ऋद्धि प्राप्त की थी (४०,४२,४३, ४७,५०) जिसके बल से वे पृथ्वा से चार अंगुल ऊपर चलते थे (१३६) मानों यह बतलाने के हेतु कि वे बाह्य और अभ्यन्तर रज से अस्पृष्ट हैं (१०५)* ।
उमास्वाति-ये गृद्धपिञ्छाचार्य कहलाते थे ( ४०,४३, ४७, ५० ) वे बलाकपिछ के गुरु और तत्त्वार्थसूत्र के कर्ता थे (१०५)* ।
* इन प्राचार्य के विषय में विशेष जानने के लिये माणिकचन्द्र ग्रन्थमाला के 'रत्रकरण श्रावकाचार' की भूमिका देखिए ।
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