________________
१३४
श्रवणबेलगोल के स्मारक
लेख नं० १०५ ( शक १३२० ) की कुन्दकुन्दाचार्य तक
कुन्दकुन्दाचार्य से
की परम्परा हम ऊपर देख चुके हैं। प्रागे इस लेख की गुरु-परम्परा इस प्रकार है
पुष्पदन्त
Jain Education International
कुन्दकुन्द
उमास्वाति (गृद्धपिञ्छ )
बलाक पिछ समन्तभद्र
शिवकोटि
देवनन्दि ( जिनेन्द्रबुद्धि व पूज्यपाद )
भट्टाकलङ्क
जिनसेन
गुणभद्र
दलि
भूतबलि
नेमिचन्द्र
माघनन्दि
( उनके वंश में )
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org