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१३० . श्रवणबेल्गोल के स्मारक नं० ५४ (शक १०५०), ४० ( शक १०८५) और १०८ ( शक १३५५ ) में गौतम स्वामी के उल्लेख के पश्चात् उन्हीं की सन्तति में भद्रबाहु और फिर उनके शिष्य चन्द्रगुप्त का वर्णन करते हुए कहा गया है कि उनके ही अन्वय में कुन्दकुन्द मुनि हुए। इन लेखों में इस स्थल पर संघ गणादि का नाम निर्देश नहीं किया गया ।
लेख नं० ४१ में बिना किसी पूर्व सम्बन्ध के यह प्राचार्यपरम्परा भी दी है
कुलभूषण
माघनन्दि
शुभचन्द्र विद्य
चारुकीति पण्डित
माघनन्दि व्रती
अभयचन्द्र
बालचन्द्र पण्डित
रामचन्द्र लेख नं० ४७, ४३, ५० और ४२ में नन्दिगण कुन्दकुन्दान्वय की परम्परा इस प्रकार पाई जाती है।
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