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प्रवणबेलगोल के स्मारक श्रुतज्ञानियों और कुन्दकुन्दाचार्य के बीच की पूरी गुरुपरम्परा नहीं पाई जाती। केवल उपर्युक्त लेख नं० १०५ में ही इस बीच के प्राचार्यो के कुछ नाम पाये जाते हैं जो इस प्रकार हैं१ कुम्भ
७ सर्वज्ञ २ विनीत या अविनीत ८ सर्वगुप्त ३ हलधर
६ महिधर ४ वसुदेव
१० धनपाल ५ अचल
११ महावीर ६ मेरुधीर
१२ वीरट्ट इत्यादि नन्दि संघ की पदावली में कुन्दकुन्दाचार्य की गुरुपरम्परा इस प्रकार पाई जाती है :
भद्रबाहु
गुप्तिगुप्त
माघनन्दि
जिनचन्द्र
कुन्दकुन्द इन्द्रनन्दिकृत भुतावतार के अनुसार कुन्दकुन्द उन आचार्यों में हुए हैं जिन्होंने अंगज्ञान के लोप होने के पश्चात् आगम को पुस्तकारूढ़ किया।
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