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यात्रियों के लेख
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वन्दना करनी चाहिए । श्रवणबेलगोल बहुत काल से एक ऐसा ही स्थान माना जाता रहा है । इस लेख संग्रह में लगभग १६० लेख तीर्थ यात्रियों के हैं। इनमें के अधिकांश लगभग १०७ --- दक्षिण भारत के यात्रियों के और शेष उत्तर भारतवासियों के हैं। दक्षिणी यात्रियों के लेखों में लगभग ५४ में केवल यात्रियों के नाम मात्र अंकित हैं, शेष लेखों में यात्रियों की केवल उपाधियाँ व उपाधियों सहित नाम पाये जाते हैं। कुछ लेखों में यह भी स्पष्ट कहा है कि अमुक यात्री व यात्रियों ने देवकी व तीर्थ की वन्दना की । यात्रियों के जो नाम पाये जाते हैं उनमें से कुछ ये हैं- श्रीधरन, वीतराशि, चावण्डय्य, कविरत्न, प्रकलङ्क पण्डित, अलमकुमार महामुनि, मालव अमावर, सहदेव मणि, चन्द्रकीर्ति, नागवर्म्म, मारसिङ्गय्य और मल्लिषेण । सम्भव है कि इनमें के 'कविरत्न' वही कन्नड भाषा के प्रसिद्ध कवि हों जिन्हें चालुक्य नरेश तैल तृतीय ने 'कविचक्रवर्त्ति' की उपाधि से विभूषित किया था व जिन्होंने शक सं० ६१५ में 'अजितपुराण' की रचना की थी । नागवर्म सम्भवत: वही प्रसिद्ध कनाड़ी कवि हों जिन्हें गङ्गनरेश रक्कसगङ्ग ने अपने दरबार में रक्खा था और जिन्होंने 'छन्दोम्बुधि' और ' कादम्बरी' नामक काव्यों की रचना की थी । 'चन्द्रकीर्ति' सम्भव है वे ही आचार्य हों जिनका उल्लेख ४३ ( ११७ ) में आया है । आश्चर्य नहीं जो चावुण्डय्य और मारसिङ्गय्य क्रमश: चामुण्डराज मन्त्री और मारसिंह नरेश ही
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