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लेखों का मूल प्रयोजन
में
प्रस्तुत लेखों का मूल प्रयोजन धार्मिक है। इस सङ्ग्रह लगभग एक सौ लेख मुनियों, ग्रार्जिकाओं, श्रावक और श्राविकाओं के समाधिमरण के स्मारक हैं; लगभग एक सौ मन्दिर - निर्माण, मूर्तिप्रतिष्ठा दानशाला, वाचनालय, मन्दिरों के दरवाजे, परकोटे, सिढिया, रङ्गशालायें, तालाब, कुण्ड, उद्यान, जीर्णोद्धार आदि कार्यों के स्मारक हैं, अन्य एक सौ के लगभग मन्दिरों के खर्च, जीर्णोद्धार, पूजा, अभिषेक, ग्राहारदान आदि के लिये ग्राम, भूमि, व रकम के दान के स्मारक हैं, लगभग एक सौ साठ संघों और यात्रियों की तीर्थयात्रा के स्मारक हैं और शेष चालीस ऐसे हैं जो या तो किसी आचार्य, श्रावक, वयोधा की स्तुति मात्र हैं, व किसी स्थान - विशेष का नाम मात्र अंकित करते हैं व जिनका प्रयोजन अपूर्ण होने के कारण स्पष्ट विदित नहीं हो सकता ।
सल्लेखना – समाधिमरण से सम्बन्ध रखनेवाले सौ लेखों में अधिकांश अर्थात् लगभग साठ-सातवीं आठवीं शताब्दि व उससे पूर्व के हैं और शेष उससे पश्चात् के। इससे अनुमान होता है कि सातवीं आठवीं शताब्दि में सल्लेखना का जितना प्रचार था उतना उससे पश्चात् की शताब्दियों में नहीं रहा । समाधिमरण करनेवालों में लगभग सोलह के संख्या स्त्रियों-अर्जिकाओं व श्राविकाओं की भी है। लेखों में कहीं पर इसे सल्लेखना, कहीं समाधि, कहीं संन्यसन,
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